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नौसादर (अमोनियम नीरेय) एक अकार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र NH4Cl है। यह श्वेत रंग का क्रिस्टलीय पदार्थ है जो जल में अत्यधिक विलेय है। इसका जलीय विलयन हल्का अम्लीय होता है। प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला साल अमोनियक (Sal ammoniac) अमोनियम नीरेय (क्लोराइड) का खनिज (Mineralogical) रूप है।
अनुक्रम
1 स्रोत
2 अभिक्रियाएँ
3 उपयोग
4 सन्दर्भ
स्रोत
साल्वे प्रक्रम (Solvay process) द्वारा क्षारात
जोसेफ प्रिस्टले ने सर्वप्रथम अमोनियम क्लोराइड को चूने के साथ गर्म करके अमोनिया गैस को तैयार किया। प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड तथा बुझे हुए सूखे चूने के मिश्रण को गर्म करके अमोनिया गैस तैयार की जाती है।
नौसादर (अमोनियम नीरेय) एक अकार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र NH4Cl है। यह श्वेत रंग का क्रिस्टलीय पदार्थ है जो जल में अत्यधिक विलेय है। इसका जलीय विलयन हल्का अम्लीय होता है। प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला साल अमोनियक (Sal ammoniac) अमोनियम नीरेय (क्लोराइड) का खनिज (mineralogical) रूप है।
यह त्रिदोशघ्न औषधि है lनौसादर वात, पित एवं कफ की असम्यावस्था में लाभदायक सिद्ध होता है | यह वातज, पितज एवं कफज तीनों समस्याओं में फायदेमंद रहता है |
एक कप पानी में एक चुटकी नौसादर मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है। दांतों में कीड़े लगने से दांत में गड्ढे बन जाते हैं, जिसके कारण तेज दर्द होने लगता है। नौसादर फिटकरी और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर इसका पाउडर बना लें, इस पाउडर को रोजाना सुबह-शाम दांत और मसूड़ों पर मलने से दांतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
10 ग्राम नौसादर को पीसकर आधा लिटर पानी में अच्छे से उबाले लें। इस पानी में कपड़ा भिगोकर अंडकोष को सेंकने से अंडकोष की सूजन और दर्द ठीक हो जाता है।
एक चुटकी नौसादर को पान में रखकर खाने से श्वसन प्रणाली के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। दांतों की सड़न वाले हिस्से में दर्द होने पर कपूर और नौसादर को रुई में लपेटकर दातों के खोखले भाग में दबाकर रखें। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं और दर्द से आराम मिलता है।
जीभ का स्वाद कड़वा होने पर 5 ग्राम नौसादर और 5 ग्राम कालीमिर्च को पीसकर शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े इससे बनने वाली लार को बाहर फेंक दें। इससे जीभ की कड़वाहट दूर हो जाती है।
नौसादर कपूर और चूने को बराबर मात्रा में मिलाकर बोतल में भरकर रख लें । इस मिश्रण कोनौसादर कपूर और चूने को बराबर मात्रा में मिलाकर बोतल में भरकर रख लें। इस मिश्रण को सूंघने से बंद ना खुल जाती है और सिर दर्द में आराम मिलता है।
नौसादर और कुटकी को पीसकर पानी में मिलाकर सिर पर लेप करने से माइग्रेन का दर्द ठीक हो जाता है।
नाक से खून बहने की स्थिति में बीते हुए नौसादर को नाक से सूंघने से खून रुक जाता है।
2 रति के बराबर नौसादर को सेवन करने से प्लीहा रोग में लाभ मिलता है |
जन सूचना
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