गन्धक की शुद्धि
एक स्वच्छ लोहे की कढहाई में 250 ग्राम शुद्ध आँवलासार गन्धक
और 25 ग्राम असली घी डालकर मन्दाग्नि पर चढ़ाकर गन्धक का रस करें।
जब रस हो जावे तब (पहिले से तैयार रखा हुआ)
उत्तम परिपक्व अनारों के आधा किलो स्वच्छ वस्त्र में छना हुआ रस थोड़ा-थोड़ा डालकर उस गन्धक में शोषित करा दें।
इसके बाद इसी प्रकार पक्व कागजी नींबुओं का छना हुआ आधा किलो रस भी थोड़ा-थोड़ा डालकर जज्ब करा दें
तद्पश्चात केले के झाड का (छना हुआ) रस आधा किलो पिला दें।
ऐसा करने से गन्धक जरा सफेद और निर्गन्ध तैयार होगा।
यह गन्धक कल्प है, इसे शीशी में सुरक्षित रखें।
इसकी मात्रा 6 रत्ती प्रातःकाल और 6 रत्ती सायंकाल उत्तम ताजा घी के साथ सेवन कराना चाहिए।
इसके सेवन से क्षय (टी. बी.), वमन, अम्लपित्त, दाह, रक्तविकार, बवासीर,
कण्डु तथा संग्रहणी आदि रोग निर्मूल हो जाते हैं। रोगी को 2 से 4 नींबू तक का रस पानी में शक्कर मिलाकर उसके साथ दिन में दें।
संग्रहणी वाले को तीन चार नींबू पानी में बफाकर उनमें से एक-एक नींबू का रस उपरोक्त विधि से दें।
दिनभर में 3-4 नींबू का रस दें। यदि रोगी को अनुकूल आजावे तो 8 से 12 नींबू तक का रस ऊपर की पद्धति से दे सकते हैं।
संग्रहणी का अद्भूत और अनुभूत उपाय है।
क्या आप से लाल गंधक मिल जायगी neutral plz confirm kare rate bhe batay
Sir kya aap Red sulfer mil sakta hai netural valaplz batay our amount bhe